मां सिद्धिदात्री की कृपा से अपने अंदर की ऊर्जा को करें सिद्ध

  

नवरात्रि के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की आराधना के उपरान्त शक्ति के यह नौ दिन पूर्ण हो जाते हैं। जैसा कि इनके नाम से ही पता चलता है कि सब प्रकार की सिद्धि देने वाली शक्ति के रूप में विद्यमान हैं। मां की शास्त्रों अनुसार पूजा करने से भक्तों को हर प्रकार के भौतिक सुख मिलते हैं। मां सिद्धिदात्री अष्ट प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं, जिससे कि मनुष्य को इस लोक के सभी प्रकार के सुख एवं शक्तियां प्राप्त होती हैं। ये केवल भौतिक सुख की व्याख्या है। वास्तविक मां की साधना ध्यान और भक्ति से आपको न केवल सिद्धियों का भान कराती है बल्कि आपके अंदर की शक्तिओं का उचित प्रयोग व संतुलन करना भी आ जाता है। 

हमारे शरीर में ही समस्त ब्रह्माण्ड है। पंच महाभूतों से निर्मित इस शरीर में अपार शक्ति है, जिसका हमें ज्ञान ही नहीं है। नवरात्रि की यह नौ रातें योगियों के लिए शक्ति के भेद को समझने के लिए अति शुभ है। एक-एक कर जब साधक मां भगवती के सभी रूपों के भेद जान लेता है और अपने मन को वश में कर उस परमशक्ति की शरण में निर्मल मन लेकर जाता है तो मां सिद्धिदात्री अंतिम दिन उसे अपनी शक्ति द्वारा उसके भीतर की छुपी इन सिद्धियों को साधने का मार्ग दिखाती हैं। 

मां जगदम्बा के इसी रूप ने भगवान शिव को उनके ही भीतर शक्ति के आधे भाग से अवगत करवाया। जिसके उपरान्त भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर रूप लिया। मां सिद्धिदात्री की कृपा से जब आप आनिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व, वशित्व यह आठ सिद्धियां प्राप्त कर लेते हैं तो इनको सही प्रकार से संचालित करना मां की कृपा से ही आता है। इनके वशीभूत न होकर अपने मन को परब्रह्म में लीन करना मां की अनुकम्पा से ही होता है।

माता का पूजन शास्त्रीय विधान से करें तत्पश्चात कन्या भोजन कराएं। मां आपकी नौ दिन की इस तपस्या से प्रसन्न होकर आपके घर के भंडार भर देंगी।

मां की आराधना रात्रि के समय शांतचित होकर करें। इस मंत्र का जाप करते हुए। अपने भीतर दिव्य शक्ति का संचार अनुभव करें। इनकी शक्ति से आपके अंदर की ऊर्जा और भी शुभ और पवित्र हो जाएगी।।

या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

कमल के पुष्प मां को अर्पित करें। आपके ज्ञान में वृद्धि होगी। देवी की अनुकम्पा आप पर बनी रहेगी।

सुनहरी रंग की दिव्य रोशनी का ध्यान करते हुए मां की कृपा को अनुभव करें। देवी के चरणों में रमने के बाद आपके हृदय में अन्य किसी सुख-साधन, सिद्धियों की लालसा नहीं रहेगी। सर्व सुख दायिनी मां की यही दिव्यता है कि सब कुछ पाकर फिर अन्य किसी पदार्थ की लालसा शेष नहीं रहती ।

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Name: धीरज मिश्रा (संपादक)

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