वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा होना चाहिए घर का नक्शा

वास्तु शास्त्र के अनुसार हर चीज में ऊर्जा होती है, जो आपकी जिंदगी पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालती है। वास्तु शास्त्र ज्योतिष शास्त्र की एक साखा है। जिसमें दिशाओं के अनुसार हर चीज का महत्व बताया गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा बनाते वक्त दिशाओं का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। अगर दिशाओं के अनुकूल घर बना हो तो इससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

बता दें, वास्तु शास्त्र के अनुसार 9 दिशाएं होती हैं। इनमें 8 दिशाएं होती हैं और एक मध्य दिशा होती है। घर का मध्य स्थान लोगों की जिंदगी पर बहुत ही गहरा असर डालता है। घर की दक्षिण दिशा का नौकरी और शिक्षा से संबंध होता है। वहीं, पश्चिम दिशा पारिवारिक रिश्तों से संबंधित होती हैं।

दक्षिण-पश्चिम दिशा व्यक्ति की कुशलता और ज्ञान को प्रभावित करती है। सामाजिक सम्मान का संबंध घर की उत्तर दिशा से होता है। वहीं, उत्तर-पश्चिम दिशा घर में धन और समृद्धि से संबंधित होती है। पति-पत्नी के संबंधों को  उत्तर-पूर्व दिशा प्रभावित करती है। घर की पूर्व  दिशा बच्चों के विकास, सोच और स्वास्थ्य से जुड़ी होती है। ऐसे में दिशाओं का ध्यान रखते हुए घर बनाना चाहिए।

घर में रसोई हमेशा दक्षिण पूर्वी दिशा यानी आग्नेय कोण में बनानी चाहिए। क्योंकि, रसोई में अग्नि देवता विराजमान होता हैं। ऐसे में दक्षिण पूर्वी दिशा में रसोई बनाने से घर हमेशा धन-धान्य से भरा रहेगा।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार बड़ा होना चाहिए। द्वार ऐसा हो जो अंदर की तरफ खुले, साथ ही मुख्य दरवाजे के सामने कोई पड़ नहीं होना चाहिए। घर का मुख्य द्वार हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। अगर दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार होगा, तो घर में नकारात्मकता आएगी।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर यानी पूजा घर हमेशा ईशान कोण में होना चाहिए। वहीं, पानी के टैंक की दिशा उत्तर-पूर्वी होनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार पानी को जमा करके रखने की सही दिशा ईशान कोण है।

घर बनाते समय हमेशा अग्नि, वायु और जल के देवताओं के स्थानों का ध्यान देना चाहिए। साथ ही इनकी दिशाएं भी नहीं बदलनी नहीं चाहिए।

Source : Agency

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Name: धीरज मिश्रा (संपादक)

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