दशहरा का पर्व बुराई पर विजय का प्रतीक है। विजयादशमी के दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। इसके अलावा विजयदशमी का पर्व मां दुर्गा का भी है। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। दशहरा का पर्व हर वर्ष आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। विजयदशमी के दिन ब्रह्मांड में रावण दहन किया जाता है। साथ ही इस दिन शस्त्र पूजन के ई विधान हैं। आइए जानते हैं दशहरे के दिन रावण दहन और शस्त्र पूजन का शुभ उत्सव कितने बजे से रहेंगे।
दशहरा 2024 हिंदू पंचांग के अनुसार, 12 अक्टूबर को दशमी तिथि की शुरुआत 10 बजे 59 मिनट पर होगी और 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजे 7 मिनट पर दशमी तिथि समाप्त होगी। दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर को ही मनाया जाता है।
रावण दहन का शुभ संकेत बताते हैं कि दशहरा पर श्रवण नक्षत्रों का शुभ संयोग बन रहा है। दशहरा में श्रवण नक्षत्रों का विशेष महत्व है। दशहरा का पर्व श्रवण नक्षत्रों में सलाम का वर्णन है। 12 अक्टूबर को सुबह 5 बजे से 24 मिनट तक अवलोकन तारामंडल शुरू होगा और अगले दिन 13 अक्टूबर से सुबह 4 बजे तक 27 मिनट तक रहेगा। रावण दहन के लिए श्रवण नक्षत्रों का होना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए 12 अक्टूबर को रावण दहन के लिए शुभ उत्सव शाम 5 बजे 52 मिनट से शाम 7 बजे 26 मिनट तक रहेगा। बता दें कि रावण दहन प्रदोष काल में हुआ था।
शस्त्र पूजन का शुभ उत्सव 12 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे 2 बजे 4 मिनट से 2 बजे तक दशहरा 48 मिनट तक शस्त्र पूजन का शुभ उत्सव रहता है। इस दौरान दशहरा पूजन और शस्त्र पूजन करना शुभ रहेगा।
दशहरा पर शस्त्र पूजन क्यों किया जाता है विजयादशमी यानी दशहरा पर शस्त्र पूजन को लेकर कई सिद्धांत प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, जब भगवान राम ने रावण का वध किया तो युद्ध में जाने से पहले उन्होंने शस्त्रों की पूजा की थी। एक अन्य सिद्धांत यह भी है कि जब मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था तब सभी देवताओं ने उनके शस्त्रों की पूजा की थी। दशहरा पर शस्त्र पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पहले राजा महाराजा भी युद्ध पर जाने से पहले अपने शस्त्रों की पूजा करते थे।
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