नई दिल्ली
आज देवशयनी एकादशी है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। एकादशी के दिन व्रत नियमों का पालन करने के साथ ही व्रत कथा का भी विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी का पाठ करने या सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान श्रीहरि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
देवशयनी एकादशी व्रत कथा-
देवशयनी एकादशी व्रत कथा का वर्णन खुद भगवान श्रीकृष्ण ने किया है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इस वृतांत को धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में मांधाता नामक एक चक्रवर्ती राजा राज्य करते थे। मांधाता के राज्य में प्रजा सुखी थी। एक बार उनके राज्य में तीन साल तक वर्षा नहीं होने की वजह से भयंकर अकाल पड़ा गया था। अकाल से चारों ओर त्रासदी का माहौल बन गया था। इस वजह से यज्ञ, हवन, पिंडदान, कथा-व्रत आदि कम होने लगे थे। प्रजा ने अपने राजा के पास जाकर अपने दर्द के बारे में बताया।
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