पटना
आपने कई किस्से ऐसे किस्से सुने होंगे जिसमें लोगों के अपने उनसे मुंह मोड़ लेते हैं लेकिन बेजुबान जानवर वफादारी निभा जाते हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण पटना से सटे दानापुर के जानीपुर इलाके में रहने वाले अख्तर इमाम का है। इन्हें लोग 'हाथी काका' के नाम से भी जानते हैं। इस नाम के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है। अख्तर ने अपने बेटे को जमीन जायदाद और संपत्ति से बेदखल कर दिया है। उन्होंने अपनी सारी संपत्ति अपने दो हाथियों के नाम लिख दी। बेटे को बेदखल किए 9 महीने बीत चुके हैं लेकिन अख्तर खुद को अकेला या बेसहारा महसूस नहीं करते हैं। इसकी वजह है बेटे से ज्यादा हाथियों पर यकीन। यही कारण है कि लोग उन्हें 'हाथी काका' कहकर बुलाते हैं।
अख्तर के पास दो हाथी हैं। एक का नाम रानी तो दूसरे का नाम मोती है। उनका सुबह से लेकर रात तक का वक्त इन्हीं के साथ बीतता है। अपनी पांच करोड़ की जमीन इनके नाम लिखने पर वे सुर्खियों में आए थे। उन्होंने अपनी जायदाद की रजिस्ट्री दो हिस्सों में की है। एक हिस्सा उनकी पत्नी का तो दूसरा हाथियों का है।
बैंक बैलेंस में भी हैं हाथी हिस्सेदार
हाथी काका कहते हैं कि मेरे न रहने पर मेरा मकान, बैंक बैलेंस, खेत, खलिहान सब हाथियों का हो जाएगा। यदि हाथियों को कुछ हो गया तो उनके हिस्से की जायदाद ऐरावत संस्था को मिल जाएगी। उनका कहना है कि मेरा जीवन हाथियों के लिए ही समर्पित है। हाथी भी उनके लिए किसी साथी से कम नहीं है।
बेटे ने झूठे रेप केस में फंसाया
अख्तर को अपने इकलौते बेटे को जायदाद से बेदखल करने का जरा भी अफसोस नहीं है। उन्होंने बताया कि उनका बेटा मिराज उर्फ पिंटू नालायक निकला। उसने मुझे अपनी प्रेमिका के झूठे रेप केस में फंसाया। इसमें मुझे जेल तक जाना पड़ा। जांच में आरोप झूठे निकले और मैं बरी हो गया। बेटे ने मेरे हाथियों तक को मारने की कोशिश की लेकिन पकड़ा गया। इसके बाद मैंने हाथियों के नाम पर जायदाद करने का फैसला लिया।
हाथियों ने बचाई जान
अख्तर ने बताया कि एक बार दो हथियारबंद लोग उन्हें मारने के लिए घर में घुसे थे तब हाथियों ने शोर मचाकर उन्हें और आस-पास के लोगों को जगा दिया। शोर सुनकर हथियारबंद भाग गए और इस तरह से मेरी जान बची।
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