महामारी से निपटने की तैयारियों के लिए स्वास्थ्य प्रणाली पर ध्यान देने की आवश्यकता: मंत्री हर्षवर्धन

नई दिल्ली । केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जी-20 वित्त और स्वास्थ्य मंत्रियों की संयुक्त बैठक में भाग लिया। सऊदी अरब ने जी-20 समूह की अध्यक्षता के साथ सत्र की मेजबानी की। डॉ. हर्षवर्धन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश के गुणों का विस्तार से ज़िक्र किया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह प्रक्रिया भारत में पहले से ही चल रही है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वर्तमान महामारी और वैश्विक संकट, जो पहले से कहीं अधिक गहरा हो गया है, ऐसे में राष्ट्रीय और वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता भी पहले से ज़्यादा है। वैश्विक स्तर पर इस खाई को पाटने के लिए हमें अंतर्राष्ट्रीय और बहुपक्षीय सहयोगात्मक प्रयासों की ज़रूरत होगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि दुनिया भर की स्वास्थ्य प्रणालियाँ खतरनाक कोविड-19 मामलों के प्रवाह को संभालने तथा विश्व की जनसंख्या में कमजोर लोगों और बुजुर्गों की हिफाज़त के लिए पर्याप्त क्षमता बनाए रखने में सक्षम हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हमें महामारी से निपटने की बेहतर तैयारियों के लिए प्रभावी स्वास्थ्य प्रणाली बनाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हालांकि महामारी से निपटने के लिए अन्य कई कार्य योजनाएं हैं, लेकिन एक अच्छी तरह से विकसित और सुसज्जित स्वास्थ्य प्रणाली कोविड महामारी से बचाव करने में हमारी सहायता कर सकती है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि, कोविड-19 का निदान, रोग चिकित्सा और टीकों तक पहुंच उचित तथा न्यायसंगत हो। किसी व्यक्ति की भुगतान क्षमता इन सब में अवरोधक नहीं बननी चाहिए।
भारत, मितव्ययता और गुणवत्ता निर्माण के ऐतिहासिक अनुभव के साथ अपने मेक-इन-इंडिया और मेक-फॉर वर्ल्ड के माध्यम से अपनी भूमिका निभाता रहेगा और हम वितरण के प्रबंधन के लिए अनुसंधान तथा डिजिटल क्षमताओं के विकास का पूरी तरह से समर्थन करेंगे। हम सभी को मौजूदा कार्यक्रमों जैसे कि कोविड-19 टूल्स एक्सेलेरेटर (एसीटी-ए) तक पहुंच को भुनाने की जरूरत है और हमें स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करते हुए निदान, रोग चिकित्सा तथा टीकों के लिए समान वैश्विक पहुंच सुनिश्चित करना है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि 2003 में सार्स और 2014-2015 में इबोला जैसी बीमारियों के पिछले प्रकोपों के अनुभवों से सीखकर काम करने की वैश्विक एकजुटता रुग्णता और मृत्यु दर को रोकने के लिए आवश्यक है। नेतृत्व और सहयोग के उदाहरणों को आदर्श के रूप में माना जाना चाहिए। इस खाई को पाटने के लिए हमें अंतर्राष्ट्रीय और बहुपक्षीय सहयोगात्मक प्रयासों की ज़रूरत होगी। बीमारी के विकास की निगरानी के लिए स्पष्ट और सार्वजनिक संचार तथा पारदर्शिता की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है।