भगवान भी नहीं टाल पाते बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद, होती है बड़ी शक्ति
कहा जाता है जब भी किसी बड़े काम के लिए निकले तो बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर निकलना चाहिए. जी हाँ, क्योंकि अगर उनका आशीर्वाद मिल जाता है तो काम सफल हो जाता है. ऐसे में कई लोग इस बात को झूठ मानते हैं और उन्हें लगता है यह सब फ़ालतू काम है. वैसे अगर आप भी उन्ही में से एक हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी कहानी जो आपको यह बताएगी कि बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद कितना लाभ देने वाला और फलदायी होता है. आइए बताते हैं.
कथा - एक सद्गृहस्थ ऋषि के घर में बालक का जन्म हुआ. उसके ग्रह-नक्षत्रों का अध्ययन कर ऋषि ङ्क्षचतित हो उठे. ग्रह के अनुसार बालक अल्पायु होना चाहिए था. उन्होंने अपने गुरुदेव से उपाय पूछा. उन्होंने कहा, ''यदि बालक वृद्धजनों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करता रहे तो ग्रह-नक्षत्र बदलने की संभावना हो सकती है.''एक बार संयोग से उधर सप्त ऋषि आ निकले. उसने सप्त ऋषियों को हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया. सप्त ऋषियों ने बालक की विनम्रता से गद्गद होकर आशीर्वाद दिया 'आयुष्मान भव'-दीर्घ जीवी हो. सप्त ऋषियों ने उसे आशीर्वाद तो दे दिया पर उसी क्षण वे समझ गए कि यह ऋषि पुत्र तो अल्पायु है परंतु उन्होंने इसे दीर्घजीवी होने का आशीर्वाद दे दिया है.
अब उनका वचन असत्य निकला तो क्या होगा. अचानक ब्रह्मा जी ने उनका संशय दूर करते हुए कहा, ''वृद्धजनों का आशीर्वाद बहुत शक्तिशाली होता है. इस बालक ने असंख्य वृद्धजनों से दीर्घजीवी होने का आशीर्वाद प्राप्त कर अल्पायु होने वाले ग्रहों को बदल डाला है. आप निश्चिंत रहें आपका वचन असत्य नहीं होगा.'' आप इस कथा से समझ ही गए होंगे कि बुजुर्गों का दिया आशीर्वाद भगवान भी नहीं टाल पाते हैं.