रक्षाबंधन पर्व मनाये शुभ समय में

भाई-बहनों के प्रेम ,त्याग व् रक्षा का पर्व इसबार भद्रा की बाधा व् चन्द्रग्रहण की छाया में 07 अगस्त सोमवार को मनाया जायगा इस दिन सावन पूर्णिमा रहेगी तथा सावन का समापन भी हो जायगा इसलिये यह पावनपर्व  शुभ समय में मनाया जाना जरुरी है इस सम्बन्ध में नगरपुरोहित पंडित मनीष पाठक व् वैदिक विप्र मंडल अध्यक्ष पंडित रामू शर्मा ने बताया की खण्डग्रास चंदरग्रहण सोमवार को मकर राशि पर लगेगा जो उज्जैन समयनुसार भद्रा सुबह 11:29 तक रहेगी व ग्रहण सूतक दोपहर 01:40 मी .लग जायगा तथा ग्रहण स्पर्श रात्रि 10:40 मी पर होगा ग्रहण का मध्यकाल रात्रि 11:31 मी व् मोक्ष रात्रि 12:35 मी पर होगा कुल ग्रहण अवधि 01 घंटा 55 मिनट की रहेगी , सूतक व् ग्रहणकाल में स्नान ,देवपूजन,नैवेध अर्पण आदि धार्मिक संस्कार करना निषेध है जप,भजन,कीर्तन किया जा सकता है इसके स्पष्ट प्रमाण हमारे धार्मिक ग्रंथो निर्णयसिन्धु , ज्योतिषसंग्रह, मुहूर्तचिंतामणी आदि में दिए गये है साथ ही सोमवार को भद्रा सुबह 11:29 मिनट तक रहेगी इस को ध्यान में रक्षाबंधन व श्रवण पर्व सुबह 11:29 से लेकर 01:40 मिनट के मध्य मनाना धर्म संगत रहेगा

सूतक में रहेंगे पट बंध :-
नगर के सभी ब्राह्मणों व् मंदिर सेवको ने निर्णय लिया की दोपहर 01:40 मिनट पर ग्रहण सूतक लगते ही सभी मंदिरों में पट बंध कर दिए जायंगे भगवान को कोई स्पर्श नहीं करेगा और नैवेध भी नहीं लगेगा ग्रहण समाप्ति के उपरांत मंदिर शुद्धि किया जायगा ग्रहण समय में भजन,जप आदि धार्मिक कार्य होंगे

ग्रहण काल में यह न करे :-
शस्त्रीय मर्यादाओ के अनुसार ग्रहण    अवधि में यह निम्न कार्य नहीं करना चाहिये जैसे भगवान को स्पर्श नहीं करना ,दूर बैठ कर भजन करना ,भोजन न बनाये ,यदि बना हुआ भोजन है तो उसमे तुलसी पत्र  डाले ,जल,दूध आदि वस्तुओ में भी तुलसी पत्र डाले ,गर्भवती महिला चाकू,छुरी आदि धारदार वस्तु का उपयोग न करे ,सिलाई,कड़ाई न करे , गर्भवती महिला घर से बहार न निकले बच्चे पर विपरीत प्रभाव पड़ता है,सहवास न करे ,झूठ न बोले सिर्फ देव भजन,कीर्तन करे

भद्रा व् सूतक में न बंधे सूत्र  :-
ज्योतिषाचार्य डॉ दीपेश पाठक भद्रा व् ग्रहण सूतक में रक्षाबंधन पर्व नहीं मनाना चाहियेकिसी भी मांगलिक भद्रा योग का विशेष ध्यान दिया जाता है क्योकि भद्राकाल में शुभ कार्य नहीं करना चाहिए मान्यता के अनुशार भद्रा सूर्य देव की पुत्री है इसकारूप भयंकर है इसके उग्र स्वाभाव को नियंत्रित करने के लिये ब्रम्हा जी ने इसको काल गणना में स्थान दिया है इस लिये शुभ कार्यो में इसका विचार किया जाता है इसका निवास राशि,महा आदि के आधार पर स्वर्ग,पाताल व् मृत्युलोक में बदलता रहता है स्वर्ग,पाताल की भद्रा शुभ मानीजाती है इस लिये कुछ शुभ कृत इसमें किये जा सकते है पर रक्षाबंधन कार्य इसमें करना शुभ नहीं है क्योकि भद्रा में राजा का विनाश हुआ था इस लिये रक्षाबंधन में यह पूर्ण वर्जित है पर उपाकर्म आदि कर्म स्वर्ग ,पाताल की भद्रा में किये जा सकते है जो लघु ग्राही है इसलिए ब्राह्मणों का श्रावणी पर्व नगर में सुबह 07 बजे पार्वती घाट पर संपन्न होगा और राखी व श्रवण का पर्व 11:29 से दोपहर 01:40 तक मनाना उचित रहेगा 

Source : Ankit Jain

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Name: धीरज मिश्रा (संपादक)

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