सहरिया समाज में अब नहीं होगा मृत्युभोज

शिवपुरी
आजादी के बाद से अब तक कुप्रथाओं में घिरकर शोषण और दमन झेलते चले आ रहे सहरिया आदिवासियों में अब बदलाव की बयार चल रही है। कुप्रथाओं व अंधविश्वास के मकड़जाल से बाहर निकलकर आदिवासी अब सहरिया क्रांति से जुडक़र नव समाज की रचना कर रहे हैं, जो ऐतिहासिक है। इसी क्रम में खोड़, कोलारस सेक्टर के ग्राम मऊकुड़च्छा में स्थित देवस्थान पर 36 गांवों के सहरिया मुखियाओं की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई जिसमें सहरिया क्रांति के आव्हान पर नशा व मृत्यु भोज त्यागने का समाज बंधुओं ने संकल्प लिया। खोड़ सेक्टर के ग्राम मऊकुड़च्छा में मुखियाओं की बैठक का शुभारंभ लोकगीत के साथ हुआ, जिसमें आदिवासी बच्चियों ने क्षेत्रीय भाषा में गीत प्रस्तुत किए। मानकपुर के हल्केराम आदिवासी ने कहा कि सहरिया समाज में युवा मृत्यु दर अन्य समाज से दोगुनी ही नहीं, बल्कि चौगुनी है, जिसका मूल कारण केवल और केवल नशा ही है, हर सहरिया बस्ती में शराब की अवैध दुकानों का खुलकर संचालन हो रहा है। पुलिस भी इन पर कोई कार्यवाही नहीं करती। हल्के राम ने कहा कि यदि सहरिया समाज को विकास की मुख्य धरा में जुड़ा है तो उसे शराब का डंटकर विरोध करना होगा साथ ही प्रशासन को भी शराब की अवैध बिक्री करने वाले शराब माफिया पर सख्त कार्यवाही करना होगी केमखेड़ा के सहरिया सैनिक बालकिशन आदिवासी ने दबंगों के चंगुल से पट्टे की अपनी भूमि मुक्त कराने समाज से एकजुट होकर आंदोलन चलाने का आव्हान किया। बैठक में अन्य गांवों से आए एक दर्जन से अधिक वक्ताओं ने अपने विचार रखे। अंत में सहरिया क्रांति के संयोजक संजय शर्मा ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार अब सहरिया आदिवासी अब शोषण और दमन के खिलाफ मुखर होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। सहरिया क्रांति आंदोलन के बाद अब दमनकारी शक्तियों में हड़कंप की स्थिति है और युवा अपने हक और अधिकार लेने आगे आने लगे हैं आने वाले कुछ ही वर्षों में परिदृश्य कुछ और ही होगा।

Source : Agency

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Name: धीरज मिश्रा (संपादक)

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